khushboo
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कभी हम मिले थे तुमसे,
यूँ ही राह चलते-चलते,
कटे ज़िन्दगी के रस्ते,
हसीं ख्वाब बुनते-बुनते.
कभी हम मिले थे तुमसे,
यूँ ही राह चलते-चलते.
कही तुमसे दिल की बातें,
तुम हो गए खफा,
मेरा कसूर क्या है?,
हमदम मुझे बता,
तेरी जुस्तजू में गुजरी,
मेरी उम्र चलते-चलते.
कभी हम मिले थे तुमसे,
यूँ ही राह चलते-चलते.
तन्हाइयाँ हैं डसती,
मुझपे खिजां है हँसती,
तंग आ गई हूँ अब तो,
मै खुद से मिलते-मिलते.
कभी हम मिले थे तुमसे,
यूँ ही राह चलते-चलते.
शर्मो-हया में लिपटी,
रहती थी खुद में सिमटी,
कुछ वक़्त तो लगेगा,
मुझे तुमसे खुलते-खुलते.
कभी हम मिले थे तुमसे,
यूँ ही राह चलते-चलते.
पुरवाइयाँ चलेंगी,
यादों की जब कभी,
रह जाएगी तड़प के,
हाथों को मलते-मलते .
कभी हम मिले थे तुमसे ,
यूँ ही राह चलते-चलते.
कटे ज़िन्दगी के रस्ते,
हसीं ख्वाब बुनते-बुनते.
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